शोध प्रारूप तथ्य संकलन की विधियाँ (भाग – 1)
- तथ्य प्राप्त होते हैं – निरीक्षण से
- “सत्य तक पहुंचने का कोई संक्षिप्त मार्ग नहीं है।” – कार्ल पियर्सन
- पी.वी. यंग के अनुसार, स्रोतों को विभाजित किया गया है – प्रलेखनीय व क्षेत्रीय
- ऐतिहासिक स्रोत में शामिल है – प्रलेख,शिलालेख, कागजात
- इसके साथ ही खुदाई के तथाभूतत्वीय स्तर प्राप्त वस्तु वस्तुओं को इसमें शामिल किया जाता है।
- प्रो. बेगलेमें किन दो स्रोतों का उल्लेख किया है – प्राथमिक व द्वितीयक
- प्राथमिक स्रोत – इसकेअंतर्गत समस्या से संबंधित व्यक्ति एवं प्रत्यक्ष निरीक्षण आते हैं।
- द्वितीयक स्रोत – द्वितीयक स्रोत के अंतर्गत सरकारी अथवा गैर-सरकारी संस्था तथा अप्रकाशित प्रलेखो इत्यादि को शामिल करते हैं।
- प्राथमिक स्रोत के भाग हैं – साक्षात्कार या मौखिक छानबीन
- प्राथमिक सामग्री के अन्य किस नाम से जाना जाता है – आधार सामग्री
- अप्रत्यक्ष स्रोत में शामिल है – दूरभाष
- अप्रत्यक्ष स्रोत में मुक्ता प्रश्नवलीयाँ, रेडियो,साक्षात्कार,दूरभाष,पैनल इत्यादि सम्मिलित होती है।
- आर्थिकसर्वेक्षणएवं मुद्रा बीच किस प्रकार का स्रोतहै? – द्वितीयक स्रोत
- प्रकाशित स्रोत भिन्न-भिन्न विषयों पर सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाएं एवं अनुसंधानकर्ता भी महत्वपूर्ण आंकड़ों को एकत्र करके समय-समय पर प्रकाशित करते हैं।
- इनमें प्रमुख रूप से जनगणना रिपोर्ट, पंचवर्षीय योजना, आर्थिक सर्वेक्षण, मुद्रा एवं वित्तीयरिपोर्ट दी सरकारी प्रकाशन समय-समय पर प्रकाशित होते रहते हैं।
- “वे तथ्य प्राथमिक होते हैं जिनको एक विशेष समस्या को हल करने विशिष्ट प्रयोजन हेतु एकत्रित किया गया हो” – रॉबर्टसन एवं राइट
- अनुसंधानकर्ता के संबंध में नवीन आंकड़े इकट्ठा करता है यह कहलाता है – प्राथमिक आंकड़ा
- प्राथमिक स्रोत–ये वे स्रोत हैं जिन्हें अनुसंधान करने वाला अपने प्रयोग में लाने के लिए पहली बार सूचनाओं को संकलित करता है तो इसे ही प्राथमिक स्रोत कहते हैं।
- प्राथमिक आंकड़े इकट्ठा करने की विधि है – प्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान
- प्रत्यक्ष प्राथमिक स्रोत- जिसमें अनुसंधानकर्ता सीधे सूचना देने वालों से प्रत्यक्ष रूप से संबंध स्थापित करके जो जानकारी एकत्रित करते हैं, प्रत्यक्ष प्राथमिक स्रोत कहलाते हैं।
- प्राथमिक आंकड़ों को एकत्र करने की विधि है
- प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान
- अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान
- प्रगणकों द्वारा अनुसूचियों का भरना
- अनुसंधानकर्ता को द्वितीयक – आंकड़े समुचित जांच के बाद ही उपयोग में लाने चाहिए
- भारत में योजना विभाग द्वारा प्रकाशित आंकड़ा होता है – द्वितीयक आँकड़ा
- अर्द्धसरकारी संस्थाओं के प्रकाशन,अंतरराष्ट्रीय प्रकाश, विश्वविद्यालय एवं शोध संस्थाओं के प्रकाशन, आयोग एवं समितियों की रिपोर्ट तथा व्यक्तिगत शोधकर्ताओं के प्रकाशक होते हैं।
- प्राथमिक आंकड़ों का संकलन किया जाता है – स्वयं अनुसंधानकर्ता द्वारा
- द्वितीयक आंकड़ों का स्रोत है – भारतीय सांख्यिकीय विभाग द्वारा प्रकाशित विवरण
- पुस्तकालय किस प्रकार के स्रोत उपलब्ध कराते है? – प्राथमिक स्रोत
- कौन-सी विशेषता सर्वेक्षणसे संबंधित है – सिद्धांतों का निर्माण
- प्रश्नावली के प्रश्न में गुण हैं
- अस्पष्टता, -उचित क्रम, -सरलता