जेण्डर पक्षपात
जेण्डर पक्षपात

जेण्डर पक्षपात के कारणों का विस्तारपूर्वक वर्णन करें

जेण्डर पक्षपात के कारणों का विस्तारपूर्वक वर्णन करें।

जेण्डर पक्षपात से आशय बालक तथा बालिकाओं के मध्य व्याप्त लैंगिक असमानता से है। बालक और बालिकाओं में पक्षपात उनके लैंगिक असमानता के कारण ही है। प्रायः बालकों के पालन-पोषण, शिक्षा-दीक्षा, उनके स्वास्थ्य, जीवन सुरक्षा, प्रतिष्ठा आदि पर बालिकाओं की तुलना में ज्यादा ध्यान दिया जाता है । प्राचीन काल से ही हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि बिना पुत्र के अंत्येष्टि संस्कार के कोई मुक्त नहीं हो सकता। दूसरी ओर, बालिकाओं को हरेक ढंग से सुरक्षा करनी पड़ती है और उन्हें दान-दहेज देकर दूसरे यहाँ विदा करना पड़ता है। बालकों को खानदान का गौरव एवं परिवार का चिराग एवं विभिन्न पापों से मुक्त करने वाला माना जाता है, उन्हें ज्यादा प्रश्रय दिया जाता है, बालिकाओं को नहीं।

लिंगीय पक्षपात के मद्देनजर ही गर्भस्थ शिशु के लिंग का निर्धारण अल्ट्रसाउण्ड के माध्यम से भारी पैमाने पर किया जाता है और पुल्लिग नहीं होने पर बालिकाओं को भ्रूणावस्था में ही खत्म कर दिया जाता है। जन्म हो जाने के बाद भी बालिकाओं को तरह-तरह की हीनता का शिकार होना पड़ता है, ताने सुनने पढ़ते हैं। पढ़ने-लिखने में भी कई तरह की असमानताएँ दृष्टिगोचर होती है। UNESCO की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रतिवर्ष एक करोड़ तीस लाख कया भ्रूणों की हत्या कर दी जाती है।

हमारे समाज में जेण्डर पक्षपात किस तरह व्याप्त है?

स्त्री-पुरुषों के बीच भिन्नतासम्पूर्ण विश्व की आधुनिक सामाजिक व्यवस्था में इस मत को सर्वमान्य रूप से स्वीकार किया जाता है कि आज महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं और किसी भी दृष्टि से मुक्त नहीं हैं । वर्तमान विकसित भारत में महिलाओं के योगदान को कम करके नहीं आंका जाना चाहिए। देश के स्वाधीनता आन्दोलन में महिलाओं के योगदान को किसी भी दशा में विस्मृत नहीं किया जा सकता। देश की पराधीनता के उस कठिन दौर में महिलाओं ने अनेक ऐसे महत्त्वपूर्ण सामाजिक कार्य किए जिन्होंने । देश में चेतना को जगाया और महिलाओं में क्रान्ति लाने के लिए भावना पैदा की। किन्तु इस सबके बाद भी देश व समाज में महिलाओं का शोषण निरन्तर जारी रहा और आज भी जारी है। यद्यपि महिलाओं के दमन व शोषण का यह सिलसिला सदियों से जारी है। किन्तु किसी भी विचारक ने आज तक यह सोचने का प्रयास नहीं किया अन्ततः महिलाओं के इस दमन व शोषण का कारण क्या है। कुछ विद्वानों ने सतही तौर पर यह अवश्य स्वीकार किया है कि चूंकि अधिकांश महिलाएं असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत हैं, इसलिए वे दमन और शोषण का शिकार होती हैं । आधुनिक विश्व में तेजी से हुए तकनीकी विकास ने भी महिलाओं के दमन व शोषण की स्थिति को कुछ अधिक प्रभावित नहीं किया है। इसलिए आज भी परिवार में उपलब्ध संसाधनों और महिलाओं से सम्बद्ध रोजगार के अवसरों पर स्त्रियों का अधिकार बहुत कम है किन्तु इतना अवश्य कहा जा सकता है कि कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन एवं घरेलू प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में हुए विकास के फलस्वरूप महिला की सामान्य स्थिति में जहाँ थोड़ा बहुत सुधार हुआ है, वहीं उनकी आर्थिक दशा में भी थोड़ा-बहुत परिवर्तन अवश्य आया है किन्तु इस सबके बाद भी पुरुष और महिलाओं के बीच अन्तर का यह फासला वर्तमान में कुछ अधिक बढ़ गया है और उसमें विभिन्नता भी आई है। उदाहरणार्थ-पुरुषों और महिलाओं के बीच अन्तर के मुख्य क्षेत्र वर्तमान में साक्षरता, शिक्षा और प्रशिक्षण, रोजगार, महिलाओं की आयु, स्वास्थ्य रक्षा व चिकित्सा सेवाओं के अन्तर्गत है। समाज में व्याप्त महिला नश्वरता, विरासत एवं पितृसत्तात्मकता और पुरुषों को प्राप्त प्रमुखता की सुदृढ़ परम्परा के कारण इन क्षेत्रों के अन्तर्गत महिलाएं पुरुषों को अपेक्षा अधिक पिछड़े और उपेक्षणीय स्थिति में हैं । पुरुषों ने अभी भी इन क्षेत्रों में अधिकार यथावत् बनाकर रखा हुआ है।

जेण्डर पक्षपात के निम्नलिखित कारण हैं –

रुढ़िगत मान्यता एवं परम्पराएँ – हमारी प्राचीन मान्यता है कि पुत्र के बिना माता-पिता का अंत्येष्टि कार्य संभव नहीं है। पुत्र के द्वारा दिए गए मुखाग्नि से ही माता-पिता को तृप्ति मिलती है और उन्हें मोक्ष मिलता है। स्त्रियों को चिता को अग्नि देने का अधिकार नहीं दिया गया है। इस कारण, परिवार में आपेक्षिक रूप से पुरुष को अधिक भहत्त्व दिया गया है। माता-पिता यह भी सोचते हैं कि बेटा ही बुढ़ापे उनके जीवन का निर्वाह करेगा जबकि बेटी तो दान-दहेज के साथ अपने घर चली जायेगी। खानदान या अपने परिवार को रीतियों का निर्वाहक बेटों को ही माना जाता है, बेटियों को नहीं। इस रुढ़िगत मान्यता के कारण ही लोग बेटे के लिए लालायित रहते हैं और बेटियों की तो भ्रूण हत्या तक कर देते हैं। हमारे वेदों में ऐसी मान्यता है कि स्त्री को बाल्यकाल में पिता के अधीन, युवावस्था में पति के अधीन तथा वृद्धावस्था में पुत्र के अधीन रहना चाहिए। इस प्रकार, स्त्रियों का अस्तित्व, मान्यता, परम्पराओं और सुरक्षा की बलि चढ़ा दिया जाता है। सबसे ज्यादा आश्चर्य की ही बात यह कि कुछ स्त्री के रूप में सास अपनी बहू को दहेज के लिए तरह-तरह से प्रताड़ित करती है तथा अपने ही बालक-बालिकाओं में अन्तर करती है।

उच्च शिक्षा के लिए सक्षम नेतृत्व चाहिए

सामाजिक कुरीतियाँ – आज Zero-tolerance एवं 4G-5G के इस फेज में भी हमारा भारतीय समाज विभिन्न तरह की सामाजिक कुरीतियों एवं अंधविश्वास से भरा पड़ा है। दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या, बाल-विवाह, विधवा विवाह निषेध, छेडखानी एवं व्यभिचार इत्यादि ऐसी सामाजिक कुरीतियाँ हैं जिससे हर हालत में महिलाओं का शोषण होता है पुरुषों का तुलना में उनकी संख्या भी लगातार घटती जा रही है। दहेज प्रथा के अन्तर्गत कन्या के जन्म होते ही माता-पिता उसके विवाह तथा दहेज के लिए तरह-तरह के भ्रष्टाचार एवं अवैध तरीके में लिप्त रहते हैं जिससे धन इकट्ठा किया जा सके और कन्या के विवाह के लिए दहेज जुटाया जाए इस कारण भी लोग कन्या संतान नहीं चाहते हैं। अल्ट्रा-साउण्ड जैसी तकनीक से लोग लिंग-निर्धारण कर बालक या बालिका का पता कर लेते हैं और बालिका होने पर कन्या भ्रूण जैसी जघन्य हत्या तक करते हैं जिससे लिंगानुपात की समस्या विकराल रूप धारण की हुई है।

अशिक्षा एवं जागरूकता का अभाव – अभी भी हमारे देश में अशिक्षितों की बड़ी फौज है। साक्षर होने एवं शिक्षित होने में काफी विभेद है। लोग यह नहीं स्वीकार कर पाये कि पुरुष और स्त्री की कार्यक्षमता एक समान है। दोनों एक साथ कंधे से कंधे मिलाकर प्रगति की नई रूपरेखा तैयार कर सकते हैं। जागरूकता के अभाव में ऐसी धारणा है कि स्त्रियाँ का कार्य क्षेत्र घर की चारदीवारी के भीतर तक ही सीमित है। ऐसी मान्यता है कि लड़कियों के शिक्षा और पालन-पोषण में ज्यादा व्यय नहीं किया जाना चाहिए और लड़कियाँ बौद्धिक रूप से लड़कों से निम्नतर होती हैं। सभी वस्तुओं तथा सुविधाओं पर प्रथम अधिकार बालकों को प्रदान किया जाता है। जेंडर पक्षपात के कारण बालिकाओं के विकास का उचित प्रबन्ध नहीं किया जाता है। पहले लोग अपने बेटों को उत्तम-से-उत्तम शिक्षा के जुगाड़ में लगते हैं और इसके बाद बालिकाओं के शिक्षा के उन्नयन एवं उत्तम शिक्षा के बारे में सोचते हैं। साथ ही व्यावहारिक रूप में लड़कों को ही पैतृक सम्पदा का उत्तराधिकारी बनाया जाता है, लड़कियों को नहीं। अशिक्षित व्यक्ति परिवारों तथा समाजों में चले आ रहे परम्पराओं और अंधविश्वास से बाहर नहीं निकल पाते हैं। जरूरत है कि उनकी सोच एवं जागरूकता का स्तर विस्तृत हो तभी जेण्डर विभेद से बच सकते हैं। शिक्षित और जागरूक व्यक्ति ही यह समझ सकते हैं कि पुरुष और स्त्री दोनों ही इस समाज के लिए समान रूप से जरूरी है। यदि दोनों कंधे-से-कंधा मिलाकर काम करेंगे तभी समाज का सर्वांगीण विकास सम्भव है। शिक्षित एवं जागरूक लोग यह समझते हैं कि महिलाएँ किसी भी रूप में पुरुषों से कम नहीं हैं।

दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली – भारतीय शिक्षा प्रणाली अभी भी ब्रिटिश कालीन शिक्षा प्रणाली का अनुकरण कर रही है जिसके कारण भारतीय शिक्षा भारतीय समाज के उद्देश्यों की पूर्ति में स्वाधीनता के लगभग साठ दशकों के बाद भी पूर्ण सिद्ध हो रही है। बालिका शिक्षा भी उनके उद्देश्यों की पूर्ति में कारगर नहीं है। शिक्षा व्यवस्था में अनेक दोष व्याप्त हैं, जैसे-अपूर्ण शिक्षण उद्देश्य, गतिहीन तथा दोषपूर्ण शिक्षण विधियाँ, शिक्षण संस्थानों में बालिकाओं के साथ भेदभावपूर्ण रवैया, बालिकाओं के अभिरुचि एवं आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यक्रम न होना, महिला शिक्षिकाओं तथा महिला शिक्षा अधिकारियों की कम संख्या होना, पृथक बालिका विद्यालयों का अभाव, बालिकाओं के व्यावसायिक शिक्षा की समुचित व्यवस्था का न होना, शिक्षा का वास्तविक, जीवन से सम्बन्ध न होना इत्यादि। साथ ही, बालिकाओं में क्रमश: प्राथमिक तथा माध्यमिक शिक्षा की ओर जाने पर क्रमशः विद्यालय छोड़ने के प्रतिशत ज्यादा है। संकीर्ण विचारधारा के लोग बालिकाओं को सहशिक्षा (Co – Education) प्रदान करवाना पसंद नहीं करते हैं। इस कारण भी हमारे समाज में जेण्डर पक्षपात और जेण्डर विभेद दिखता है और उपयुक्त शिक्षा प्रणाली के माध्यम से ही जेण्डर विभेद एवं जेण्डर पक्षपात को मोहित किया जा सकता है।

मनोवैज्ञानिक कारण – जन्म के प्रारम्भ से ही स्त्रियों के मस्तिष्क में यह बात बैठ जाती हैं कि पुरुष, स्त्रियों से श्रेष्ठ हैं तथा महिलाओं को पुरुषों की आज्ञा का अनुसरण करना चाहिए। स्त्रियों के दिमाग में यह बात बैठा दी जाती है कि उनका पुरुष से ही पहचान और सुरक्षा है। पुरुष के बिना अस्तित्व नहीं है। सबसे आश्चर्य की बात है कि महिलाएँ स्वयं स्त्री होकर स्त्री के जन्म और उनके सर्वांगीण विकास का विरोध करती हैं। उपर्युक्त मनोवैज्ञानिक कारणों की वजह से महिलाएं जीवन के प्रारम्भ से ही पुरुषों के अनुसरण एवं दासता स्वीकार करती जाती हैं और उनका पूर्ण विकास नहीं हो पाता।

थोर्नडाइक द्वारा सीखने के नियम

छेड़खानी एवं व्यभिचार – आये दिन समाचार पत्र लड़कियों के साथ छेड़खानी, व्याभिचार, दुष्कृत्य, अपहरण, हत्या इत्यादि से भरे पड़े रहते हैं। इस कारण, अजीज होकर माता-पिता यहीं कामना करते हैं कि उन्हें बेटी न होती तो वे चैन की नींद सोते। बालिकाओं की सुरक्षात्मक दृष्टि से देखरेख भी जेण्डर पक्षपात का एक कारण है। नौकरी या किसी भी व्यवहार में बालिकाओं को उपयुक्त नहीं समझा जाता क्योंकि वे देर रात तक या घर के बाहर इन कार्यों को सुचारू रूप से सम्पन्न नहीं कर सकती । अतः बालिकाओं की अपेक्षा बालक ही कामना की जाती है।

सरकारी उदासीनता – सरकार (केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार में) लिंग जाँच करनेवाले व्यक्तियों को कड़ी से कड़ी सजा नहीं देती है। लोग चोरी-छिपे क्लीनिकों तथा अस्पतालों में जेण्डर परीक्षण करवाते हैं और पैसा देकर कन्या भ्रूण हत्या करते हैं। सरकार को इसके लिए कठोर कार्रवाई करनी होगी तभी इस जघन्य हत्या को रोका जा सकता है तथा जेण्डर पक्षपात को खत्म किया जा सकता है। महिलाओं में व्याप्त असुरक्षा के भाव को खत्म करने के लिए सरकार को आगे आना होगा। हमारे देश में इससे सम्बन्धित कई ठोस कानून हैं, लेकिन इन कानूनों के कार्यान्वयन में कई दिक्कतें हैं और यह धरातल पर लागू नहीं हो पाता है।

गरीबी – हमारे देश में काफी गरीबी है। लोगों की मान्यता है कि पुरुष संतानें उनके आर्थिक चुनौतियों के समाधान में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। दूसरी ओर, महिलाएँ आर्थिक क्रियाकलापों में बालकों की तरह सक्रिय भूमिका नहीं निभा सकती है। लड़कियों को पराया धन समझकर माता-पिता रखते हैं तथा जीवन की कमाई का एक बड़ा भाग वे लड़की के विवाह में दहेज के रूप में व्यय करते हैं तथा उनकी मान्यता है कि लड़के के साथ उन्हें ऐसा नहीं करना पड़ता है। इस प्रकार गरीब परिवार के लोग भगवान से प्रार्थना करते रहते हैं कि उन्हें कन्या संतान न हो, इससे उनके ऊपर अत्यधिक आर्थिक बोझ बढ़ेगा और दूसरी और पुरुष संतानें आर्थिक समस्याओं के निराकरण में काफी मदद करेगी। यह भी एक बड़ा कारण है जिससे हमारे देश में जेण्डर पक्षपात एवं जेण्डर विभेद की समस्या बढ़ रही हैं।

27 comments

  1. I’ve been surfing online more than 3 hours as of late, yet I by
    no means found any fascinating article like yours.
    It’s pretty price sufficient for me. In my view, if
    all web owners and bloggers made excellent content material as you did, the
    web will probably be a lot more helpful than ever before.
    0mniartist asmr

  2. Having read this I thought it was rather informative. I appreciate you taking
    the time and effort to put this content together.
    I once again find myself spending a significant amount of time both reading and commenting.
    But so what, it was still worthwhile! asmr 0mniartist

  3. I am not sure the place you are getting your information, but great topic.
    I needs to spend some time finding out much more or working
    out more. Thanks for fantastic info I was in search of this info
    for my mission. 0mniartist asmr

  4. I have been surfing on-line greater than three hours today,
    but I never discovered any attention-grabbing article like yours.
    It’s beautiful worth sufficient for me. In my view,
    if all website owners and bloggers made just right content material as you did, the internet might be much more useful than ever before.

    0mniartist asmr

  5. I am actually delighted to read this web site posts which consists of plenty of helpful data, thanks for providing
    these information.

  6. My coder is trying to persuade me to move to .net from PHP.
    I have always disliked the idea because of the
    costs. But he’s tryiong none the less. I’ve been using Movable-type
    on numerous websites for about a year and am nervous about switching to another platform.
    I have heard very good things about blogengine.net.
    Is there a way I can import all my wordpress content into it?
    Any kind of help would be really appreciated!

  7. Hi there! This blog post couldn’t be written any better!
    Going through this article reminds me of my previous roommate!
    He continually kept talking about this. I am going to forward this post to him.
    Pretty sure he’s going to have a good read. Many thanks for sharing!

  8. Greetings I am so glad I found your web site, I really found you by accident, while I was browsing on Askjeeve for something else, Nonetheless I am here now and would
    just like to say thank you for a fantastic post and a all round exciting
    blog (I also love the theme/design), I don’t have time to look over it all
    at the moment but I have saved it and also added in your RSS feeds,
    so when I have time I will be back to read a great
    deal more, Please do keep up the superb job.

  9. Ϝine way of telling, аnd fastidious paragraph tօ
    tаke iinformation about my presentation subject matter, ѡhich i аm
    gooing to convey in institution оf higher education.

    Ⅿy blog: discuss

Comments are closed.