शोध प्रारूप तथ्य संकलन की विधियाँ (भाग – 3)
- तथ्यों के सरणीय करने का तात्पर्य है – बोधगम्य बनना
- इंटरनेट का उपयोग है – सूचनाओं के संग्रह
- इंटरनेट कंप्यूटर नेटवर्क की वैश्विक प्रणाली है।
- इंटरनेट कम्प्यूटरों को जोड़ता है और वर्ल्डवेबउससे जुड़े कंप्यूटरों को सूचनाएं वेब पेजों के माध्यम से उपलब्ध कराता है।
- वर्ल्डवाइडवेब क्या है? – डेटाबेस
- सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का तात्पर्य है
- ई- मेल, इंटरनेट, शैक्षणिक टी.वी
- तथ्यों के संकलन के बाद सबसे महत्वपूर्ण कार्य है – विश्लेषण
- अनुसंधान में नैतिकता का तात्पर्य है – उचित और अनुचित का बोध
- अनुसंधान में नैतिक मुद्दों का संबंध शोधकर्ता के नैतिक कर्तव्यों से है अनुसंधानकर्ता को शोध करते समय उचित एवं अनुचित का हमेशा ध्यान रखना चाहिए
- प्रतिवेदन प्रणाली का सिद्धांत है? – सूचना का समुचित प्रकार
- अच्छे प्रतिवेदन के सिद्धांत
- सूचना का समुचित प्रवाह
- उचित समय
- सही सूचना
- तुलना का आधार
- स्पष्ट एवं सरल प्रतिवेदन
- लागत
- उत्तरदायित्व का मूल्यांकन
- प्रतिवेदन का भाग है – शीर्षक
- प्रतिवेदन का ढांचा तैयार करना
- शीर्षक
- पता
- विषय सामग्री
- परिचय या संदर्भ विषय
- प्रतिवेदन का मुख्य भाग
- संस्तुतियां
- संदर्भ एवं परिशिष्ट
- हस्ताक्षर
- रिपोर्टके उद्देश्य – ज्ञान का प्रलेख प्रस्तुत करना
- प्रतिवेदन तैयार करने का उद्देश्य
- ज्ञान का एक प्रमुख प्रलेख प्रस्तुत करना
- ज्ञान के विस्तार के लिए
- शोध के परिणामों को दूसरों के सूचनार्थ प्रस्तुत करना
- विषयों में अंतर्निहित वास्तविक स्थिति को समझना
- संदर्भ ग्रंथ सूची का तात्पर्य है – शोध प्रतिवेदन के पीछे संलग्न स्रोत है
- संदर्भ ग्रंथ सूची शोध प्रतिवेदन के पीछसंलग् पत्र होती है, जिसमें पुस्तकों की एक सूची होती है, संदर्भ सूची में उन सभी कार्यों को समाहित करना चाहिए, जिनमें शोधकर्ता शोध के दौरान स्रोत के रूप में उपयोग करता है।
- संदर्भ ग्रंथ सूची में शामिल है – संस्करण संस्था
- संदर्भ ग्रंथ सूची लिखने के तरीके
- लेखन का नाम अंतिम नाम पहले लिखा जाता है
- शीर्षक
- स्थान प्रकाशक तथा प्रकाशन तिथि
- संस्करण संख्या
- “जो आंकड़े दूसरे व्यक्तियों द्वारा एकत्र किए जाते हैं वह द्वितीयक आंकड़े कहलाते हैं” – वैसले
- “जिस प्रकार एक मकान का निर्माण पत्थरों से होता है उसी भांति विद्वान का निर्माण तथ्यों से होता है।” – हेनरी पाईनकर
- “ नैतिकता नियमों की व्यवस्था है, जिसके द्वारा व्यक्ति का अंतःकरण उसे उचित और अनुचित का बोध कराता है।” – मैकाइवर व पेज
- “नैतिकता का संबंध अच्छे बुरे से एवं अंतरात्मा से है।” – जिसवर्ट
- “सर्वेक्षण कर्ताओं को प्रायः यह भ्रम हो जाता है कि जब तक में मानव के संबंध में अध्ययन ना करें तब तक केवल व्यक्ति ही उनके निदर्शन की इकाई हो सकता है।” – पार्टन
- “निदर्शन प्रविधि एक पूर्व निर्धारित योजना की इकाइयों के एक समूह में से एक निश्चित प्रतिशत का चुनाव है।” – बोगार्डस
- “प्रश्नावली को प्रश्न के एक समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसका उत्तर सूचना करता को बिना अनुसंधानकर्ता एवं प्रगणक को देना होता है।” – पोप
- “साक्षात्कार एक व्यवस्थित विधि मानी जाती है जिसके द्वारा एक व्यक्ति अपेक्षाकृत अजनबी के आंतरिक जीवन में न्यूनाधिक प्रवेश करता है।” – पॉलिग यंग
- “निदर्शन संपूर्ण समूह का प्रतिनिधि अंश है।” – लार्डिग रंग