पर्यावरण अध्ययन प्रकृति स्पष्ट करें
पर्यावरण अध्ययन प्रकृति स्पष्ट करें

पर्यावरण अध्ययन प्रकृति स्पष्ट करें।

पर्यावरण अध्ययन प्रकृति स्पष्ट करें।

Clarify the nature of Environmental studies.

पर्यावरण से आप क्या समझते हैं ?

What do you understand by the environment?

पर्यावरण से आप क्या समझते हैं ?– पर्यावरण शब्द ‘परि’ और ‘आवरण’ का संयुक्त रूप है । परि का अर्थ है ‘चारों ओर तथा आवरण का अर्थ है ‘घेरा’। इस प्रकार पर्यावरण का अर्थ है चारों ओर से घेरा या आवृत्त।। अंग्रेजी में पर्यावरण को Environment कहा जाता है। इस शब्द का प्रादुर्भाव फ्रेंच के क्रिया शब्द Enveronner से हुआ है, जिसका अर्थ है घेरना (To Surround)। अर्थात् वह घेरा जो हमें चारों ओर से ढके हो। इस प्रकार प्राणी के चारों ओर जो कुछ भी भौतिक या अभौतिक वस्तुएँ मौजूद हैं, वह उसका पर्यावरण है मनुष्य के चारों ओर का परिवेश कई तरह की प्राकृतिक शक्तियों एवं पदार्थों यथा : सूरज, चन्द्रमा, तारे, पर्वत, नदी, झील, समुद्र, जंगल, हवा, ताप, पृथ्वी, जलवायु आदि से घिरा हुआ है । इसके साथ ही कई सामाजिक सांस्कृतिक घटकों यथा धर्म, नैतिकता, लोकाचार सामाजिक मूल्य, प्रथा, संस्था, समाज आदि से भी मनुष्य का परिवेश घिरा हुआ है। अतः इन सभी दशाओं को पर्यावरण की संज्ञा दी जा सकती है।

वस्तुतः ‘Environment’ शब्द को ‘Envelope’ शब्द का पर्याय कहा जा सकता है, जिसका तात्पर्य परिवृत्ति से है। इस प्रकार पर्यावरण वह परिवृत्ति है, जो मानव को चारों ओर से घेरी हुई है तथा उसके जीव एवं क्रियाओं पर प्रभाव डालती है।

पर्यावरण अध्ययन की प्रकृति (Nature of Environmental Study) – पर्यावरण अध्ययन का विषय क्षेत्र व्यापकता लिए हुए है। अध्ययन के उद्देश्य में दिनों-दिन हुए विस्तार ने पर्यावरण अध्ययन को बहु-अनुशासनिक या बहुविषयक (Maltdisciplinary) बना दिया है। आज पर्यावरण का अध्ययन जीव विज्ञान एवं भूगोल विषय की एक विशिष्ट शाखा मात्र न रहकर एक दृष्टिकोण बन गया है इसका अध्ययन विज्ञान, वाणिज्य, सामाजिक विज्ञान, प्रबन्ध आदि अनेक विषयों में व्यापक स्तर पर किया जाने लगा है आज पर्यावरण-संरक्षण में जीव विज्ञानी, समाजशास्त्री, भूगोलवेता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ प्रबन्धविज्ञानी, विधिवेत्ता, अभियांत्रिक आदि विशेषज्ञों की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो गई है पर्यावरण अध्ययन एक ऐसा विषय है जिसकी सीमाएँ अनेक विषयों या अनुशासनों को स्पर्श करती अथवा अतिव्यापन (०ver-lapping) करती है। भिन्न-भिन्न विषयों यथा प्राणिशास्त्र वनस्पतिशास्त्र, पारिस्थितिकी, समाजशास्त्र आदि में किया जानेवाला पर्यावरण का अध्ययन समन न होकर कुछ पक्षों तक सीमित होता है, किन्तु प्रत्येक विषय पर्यावरण के विशेष पक्ष का अध्ययन कर पर्यावरण संरक्षण में अपनी भूमिका निभाता है। पर्यावरण के समय अध्ययन के लिए विभिन्न विषयों या क्षेत्रों के विशेषज्ञों के ज्ञान का उपयोग करना आवश्यक है।

जेण्डर सशक्तिकरण की समझ

पर्यावरण अध्ययन विषय की प्रमुख विशेषता है कि यह अन्य कई प्राकृतिक तथा सामाजिक विज्ञानों में समाया हुआ है। अत: अनेक विषयों था उपविषयों को परस्पर जोड़ता है।

इसका अध्ययन क्रमबद्ध उपागम (Systematic approach) से किया जाए या प्रादेशिक उपागम (regional approach) से, अध्ययन के दौरान एक उपागम में दूसरा स्वत: समाविष्ट हो जाता है। अन्य शब्दों में कह सकते हैं कि “पर्यावरण अध्ययन एक समाकलन विज्ञान (integrating science) है।”

परिभाषाएँ (Definitions)-

ई० जे रॉस के अनुसार “पर्यावरण एक बाह्य शक्ति है जो हमें प्रभावित करती है।”

“Environment is an enternal power that effects us.” – E.J. Ross

फिटिंग के अनुसार- “जीवों के परिस्थिति कारकों का योग पर्यावरण है।”

“Environment is an addition of ecological factors of living creatures.” Fitting

वेक्टर के अनुसार “प्राणी अथवा प्राणी समूह को प्रभावित करने वाली बाद परिस्थितियों एवं प्रभावों के समग्र को पर्यावरण कहा जाता है।”

“Environment is the aggregate of all external conditions and influences affecting the life and development of an organism or group of organism.”-Vebsator

डॉ० खुशु महोदय के अनुसार “पर्यावरण वे संसाधन हैं, जिसके अन्तर्गत भूमि पर तथा भूमि के नीचे पाये जाने वाले तत्व, जल, जीव, हवा तथा जीवों को सहायता प्रदान करने वाली सभी वस्तुएँ सम्मिलित हैं।”

“Environment is the resource comprising land and all that it contains on the surface and beneath, water and the life it supports and air.” -Dr. Khoshoo

थोर्नडाइक द्वारा सीखने के नियम

उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि पर्यावरण भौतिक तथा जैविक दोनों तत्वों से मिलकर बना है। डॉ० रघुवंशी ने भी अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘ पर्यावरण एवं प्रदूषण’ में लिखा है कि ‘पर्यावरण शब्द जीवों की अनुक्रियाओं को प्रभावित करने वाली समस्त भौतिक तथा जैविक परिस्थितियों का योग है।’ इस प्रकार जैविक पर्यावरण के अन्तर्गत जीवमण्डल परिभाषित किया गया है। यह पृथ्वी का वह भाग है, जिसमें जीवधारी रहते हैं, इसमें वृहदाकार एवं सूक्ष्माकार जन्तु तथा पौधे सम्मिलित हैं, जबकि भौतिक पर्यावरण के अन्तर्गत मृदा, जल, वायु, ताप, प्रकाश आदि आते हैं जिससे स्थल मंडल तथा वायु मंडल निर्मित होता है।

अतः प्राणी का जीवन तथा पर्यावरण एक-दूसरे के पूरक हैं यदि मनुष्य अपनी प्राकृतिक सम्पत्ति को प्रभावित करता है तो वह स्वंय भी उस पर्यावरण से प्रभावित होगा सजीवों का अस्तित्व पर्यावरण पर निर्भर करता है । इस प्रकार पर्यावरण के तीन पक्ष स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होते हैं- अजैवकीय पर्यावरण, जैवकीय पर्यावरण, आर्थिक एवं सामाजिक क्रियाओं से जुड़ा पर्यावरण। लैंडिस ने भी पर्यावरण को प्राकृतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक पर्यावरण के रूप में विभाजित किया है । विभिन्न पर्यावरण विदों ने भौतिक पर्यावरण पर विशेष बल दिया है।

31 comments

  1. I have been exploring for a little for any high-quality articles or weblog posts in this sort of area . Exploring in Yahoo I at last stumbled upon this website. Reading this info So i’m glad to exhibit that I have an incredibly excellent uncanny feeling I came upon just what I needed. I most for sure will make certain to don?t omit this site and give it a glance regularly.|

  2. Hello! This post could not be written any better! Reading this post reminds me of my old room mate! He always kept talking about this. I will forward this post to him. Fairly certain he will have a good read. Thank you for sharing!|

  3. With havin so much written content do you ever run into any issues of plagorism or copyright infringement? My blog has a lot of unique content I’ve either created myself or outsourced but it looks like a lot of it is popping it up all over the internet without my authorization. Do you know any methods to help prevent content from being ripped off? I’d genuinely appreciate it.|

  4. Hey there, I think your website might be having browser compatibility issues. When I look at your blog site in Safari, it looks fine but when opening in Internet Explorer, it has some overlapping. I just wanted to give you a quick heads up! Other then that, superb blog!|

  5. After checking out a number of the blog posts on your site, I honestly like your technique of blogging. I bookmarked it to my bookmark webpage list and will be checking back in the near future. Please check out my website as well and let me know your opinion.|

  6. Right here is the perfect website for anyone who wants to understand this topic. You realize a whole lot its almost hard to argue with you (not that I actually would want to…HaHa). You definitely put a brand new spin on a subject that has been discussed for decades. Excellent stuff, just wonderful!|

  7. I just like the valuable information you provide in your articles. I will bookmark your weblog and test once more here frequently. I am quite certain I will be told a lot of new stuff proper right here! Good luck for the following!|

  8. Spot on with this write-up, I really believe this site needs a great deal more attention. I’ll probably be returning to see more, thanks for the info!|

  9. I don’t even know the way I stopped up here, however I believed this post used to be good. I do not recognize who you’re but certainly you are going to a famous blogger if you aren’t already. Cheers!|

  10. Heya are using WordPress for your blog platform? I’m new to the blog world but I’m trying to get started and create my own. Do you need any html coding knowledge to make your own blog? Any help would be really appreciated!|

  11. Incredible! This blog looks exactly like my old one! It’s on a completely different subject but it has pretty much the same layout and design. Wonderful choice of colors!|

Comments are closed.